ब्यूरोः 1999 के कारगिल युद्ध के पच्चीस साल बाद पाकिस्तानी सेना ने पहली बार भारत के साथ हुए घातक संघर्ष में अपनी भूमिका स्वीकार की है। शुक्रवार को रक्षा दिवस के अवसर पर भाषण देते हुए पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने यह भागीदारी को स्वीकार किया।
First time ever #PakistaniArmy accepts involvement in #KargilWar. Pakistan Army Chief General #AsimMunir confirms Pakistan Army's involvement in #KargilWar. Pakistan Army Chief General Asim Munir in a defence day speech on Friday said, "1948, 1965, 1971 or Kargil war between… pic.twitter.com/Um83MwSrwM
— Upendrra Rai (@UpendrraRai) September 7, 2024
जनरल मुनीर ने रावलपिंडी में पाकिस्तानी सेना के मुख्यालय में भाषण देते हुए कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच 1948, 1965, 1971 और कारगिल युद्धों के साथ-साथ सियाचिन में भी हजारों सैनिकों ने अपनी कुर्बानी दी है। मई और जुलाई 1999 के बीच लड़े गए कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी सैनिकों ने जम्मू-कश्मीर के कारगिल जिले में नियंत्रण रेखा के भारतीय हिस्से में घुसपैठ की थी। भारत ने 'ऑपरेशन विजय' के तहत घुसपैठियों को रणनीतिक चौकियों से पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था।
After 25 years, Pakistan Army accepts its direct involvement in Kargil War. A first, since so far, they claimed it was "Mujahideens". Pakistan even refused to take even officers' bodies: https://t.co/gfggSHOEv8 pic.twitter.com/DuUpjpjodd
— Sidhant Sibal (@sidhant) September 7, 2024
अतीत में इस्लामाबाद ने लगातार प्रत्यक्ष सैन्य संलिप्तता से इनकार किया था और घुसपैठियों को “कश्मीरी स्वतंत्रता सेनानी” या “मुजाहिदीन” कहा था। मुस्लिम बहुल राष्ट्र ने यह भी दावा किया था कि जब कबीलाई नेता चोटियों पर कब्जा कर रहे थे, तब पाकिस्तानी सेना सक्रिय रूप से गश्त कर रही थी। लेकिन इस्लामाबाद के इस स्पष्ट स्वीकारोक्ति ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर हलचल मचा दी है, जिसमें कुछ पत्रकारों ने पाकिस्तानी सेना की ओर से अपने कर्मियों के शवों को स्वीकार करने से इनकार करने के बारे में दशकों पुराने पोस्ट साझा किए हैं।