Friday 22nd of November 2024

UP News: होटलों पर लिखा होगा मालिक का नाम, गंदगी एक्शन का करना होगा सामना

Reported by: Gyanendra Shukla  |  Edited by: Deepak Kumar  |  September 24th 2024 07:55 PM  |  Updated: September 24th 2024 08:13 PM

UP News: होटलों पर लिखा होगा मालिक का नाम, गंदगी एक्शन का करना होगा सामना

ब्यूरोः यूपी का ज्ञान में आज चर्चा करेंगे यूपी में सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा जारी ताजा दिशा निर्देशों की। जिसके तहत सार्वजनिक खाद्य स्थलों पर साफ सफाई को लेकर कड़े इंतजाम करने होंगे। मालिक से लेकर मैनेजर तक के नाम डिस्प्ले करने होंगे। साथ ही सीसीटीवी भी लगवाने होंगे जिनकी फुटेज किसी जांच के दौरान प्रस्तुत भी करनी पड़ सकती है। 

बीते दिनों उजागर हुए कुछ घृणित मामलों के बाद सतर्क हुई सरकार

 दरअसल, कुछ दिनों पहले हापुड़ में मानव अपशिष्ट मिला जूस बेचने का मामला सामने आया था। इसके बाद शामली की फूल मार्केट में जूस में थूक मिलाने की वारदात भी उजागर हुई थी। सहारनपुर के छुटमलपुर में एक ढाबे पर तंदूर में थूक वाली रोटियों से संबंधित वीडियो सामने आया था। इन सभी मामलों में सख्त कार्रवाई की गई थी। पर इन घृणित घटनाओं से जन आक्रोश पनप रहा था। इसी बीच आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसादम में चर्बी की मिलावट का खुलासा हुआ। इन सभी घटनाओं के मद्देनजर अब यूपी में सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।

 एक उच्चस्तरीय बैठक में सीएम योगी ने तय किए कड़े नियम 

मंगलवार को राजधानी लखनऊ में एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की गई जिसमें उच्चाधिकारियों की मौजूदगी में सीएम योगी आदित्यनाथ ने दो टूक कहा कि जूस, दाल और रोटी जैसी खान-पान की वस्तुओं में मानव अपशिष्ट मिलाना वीभत्स है, यह सब कतई अस्वीकार्य है। सीएम ने अफसरों से कहा कि ऐसे ढाबों/रेस्टोरेंट आदि खानपान के प्रतिष्ठानों की सघन जांच की जाए। हर कर्मचारी का पुलिस वेरिफिकेशन किया जाए। खान-पान की चीज़ों की शुद्धता-पवित्रता सुनिश्चित करने के लिए खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम में आम जन की स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक संशोधन के निर्देश भी दिए गए।

जिम्मेदार महकमे अपने कार्यक्षेत्र से संबंधित खाद्य प्रतिष्ठानों की जांच करेंगे

 खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन(एफडीए) , पुलिस व स्थानीय प्रशासन की ज्वाइंट टीमें बनाई जा रही हैं। प्रदेशव्यापी सघन जांच अभियान चलाया जाएगा। जिनके जरिए सूबे के सभी होटलों/ढाबों/रेस्टोरेंट आदि खानपान से संबंधित प्रतिष्ठानों की गहन जांच व सत्यापन किया जाएगा। इन प्रतिष्ठानों के संचालक सहित वहां कार्यरत सभी कर्मचारियों का सत्यापन कराया जाएगा। इसके लिए टाईम फ्रेम भी तय किया जा रहा है। अपशिष्ट आदि गंदी चीजों की मिलावट होते मिली तो संबंधित प्रतिष्ठान के संचालक/प्रोपराइटर पर भी कठोर कार्रवाई की जाएगी।

सीसीटीवी से लेकर मास्क व ग्लव्स का बंदोबस्त करना होगा जरूरी

 खानपान के प्रतिष्ठानों में अब सीसीटीवी को लगवाना ही होगा। सीसीटीवी कैमरे न सिर्फ ग्राहकों के बैठने के स्थल की ओर फोकस करेंगे बल्कि इनकी जद में प्रतिष्ठान के बाकी हिस्से भी लाए जाने होंगे। हर प्रतिष्ठान संचालक को सीसीटीवी की फीड को सुरक्षित रखना होगा। किसी जांच की स्थित में ये वीडियो फीड संबंधित पुलिस व स्थानीय प्रशासन को मुहैया करवाया जाएगा।

खान पान के केंद्रों पर साफ-सफाई के लिए कड़े नियम होंगे। खाद्य पदार्थों को तैयार करने तथा इन्हें परोसने के वक्त संबंधित शेफ और वेटर मास्क/ग्लव्स का उपयोग अनिवार्य रूप से करेगा। निर्देश दिए गए हैं कि इन कामों में कोई भी लापरवाही न होने पाए।

साफ सफाई और नियमों के अनुपालन में कोताही बर्दाश्त नहीं होगी

 यूपी सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि जनता के स्वास्थ्य हितों से किसी भी तरह का खिलवाड़ सहन नहीं किया जा सकता है। ऐसा कुप्रयास करने वालों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। खाद्य पदार्थों को बनाने, बेचने अथवा अन्य संबंधित गतिविधियों से जुड़े नियमों को व्यवहारिकता का ध्यान रखते हुए और सख्त किया जाएगा। नियमों की अवहेलना पर तत्काल कार्रवाई तय करने लिए अफसरों की जवाबदेही भी सुनिश्चित की जाएगी। इस पहलू को लेकर मौजूदा नियमों में भी जरूरी संशोधन भी किए जाएंगे ताकि जनता के स्वास्थ्य से कोई समझौता न हो सके।  

पूर्व में होटल-ढाबों पर नाम डिस्पले के योगी सरकार के फरमान पर सुप्रीम रोक लगी थी

बीते जुलाई में सावन के दौरान योगी सरकार ने कांवड़ रूट पर पड़ने वाले सभी दुकान संचालकों को असली नाम प्रदर्शित करने का निर्देश दिया था। इस आदेश में कहा गया था कि सभी ढाबे, रेस्टोरेंट, फल विक्रेता व चाय-पानी की दुकान लगाने वाले अपने असली नाम का बोर्ड चस्पा करें। इस मामले को लेकर सियासत गरमाई थी। विपक्ष ने आलोचना की थी। मामला सुप्रीम कोर्ट गया था। सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी। तब यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में कहा था कि यह आदेश शांतिपूर्ण कांवड़ यात्रा के संचालन के लिए किया गया था। राज्य द्वारा जारी निर्देश दुकानों और भोजनालयों के नामों के कारण होने वाले भ्रम के संबंध में कांवड़ियों से मिली शिकायतों के जवाब में जारी किए गए थे।

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