UP: ग्रीन कोल प्रोजेक्ट से यूपी को बनाया जाएगा आत्मनिर्भर, कचरे से बिजली बनाने को नोएडा में स्थापित होगा प्लांट
ब्यूरो: सरकार ने भीषण गर्मी में बढ़ती बिजली डिमांड की शत प्रतिशत आपूर्ति करने एवं ऊर्जा के क्षेत्र में प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ग्रीन कोल प्रोजेक्ट की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। इसके तहत योगी सरकार द्वारा नोएडा में प्रतिदिन 900 टीपीडी क्षमता वाला प्लांट स्थापित किया जा रहा है, जहां पर कचरे से बिजली का उत्पादन किया जाएगा। इससे स्वच्छ भारत मिशन को भी रफ्तार मिलेगी। इस प्रोजेक्ट से प्रतिदिन 200 टन ग्रीन कोल और 1000 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। बता दें कि स्वच्छ भारत मिशन को गति देने, बिजली सप्लाई को निर्बाध बनाये रखने और आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने वाली इस परियोजना को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सराहना मिल चुकी है। वेस्ट टू एनर्जी के क्षेत्र में अग्रणी मैकॉबर बीके प्राइवेट लिमिटेड (एमबीएल) का यह प्रोजेक्ट भारत का सबसे बड़ा ग्रीन कोल प्रोजेक्ट है।
चार साल पहले बनी कचरे से टॉरिफाइड चारकोल बनाने की योजना
एनटीपीसी लिमिटेड ने लगभग चार साल नगर निगम के कचरे से टॉरिफाइड चारकोल बनाने की योजना बनाई थी। फिर, इसकी सहायक कंपनी एनटीपीसी विद्युत व्यापार निगम लिमिटेड ने मैकॉबर बीके को ईपीसी आधार पर परियोजना प्रदान की। ग्रीन कोल प्लांट की कुल क्षमता 900 टीपीडी कचरा प्रबंधन की होगी। यह संयंत्र 900 टीपीडी म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट (एमएसडब्ल्यू) के इनपुट के साथ 200 टन ग्रीन कोल का उत्पादन करेगा। मैकॉबर बीके के ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर गौतम गुप्ता ने बताया कि यह परियोजना मेक इन इंडिया पहल का एक प्रमुख उदाहरण है। हम ग्रेटर नोएडा में 900 टीपीडी की क्षमता वाला सबसे बड़ा वेस्ट ग्रीन कोल प्लांट स्थापित करेंगे। कंपनी ने नगरपालिका के ठोस कचरे को पर्यावरण-अनुकूल ग्रीन कोल में परिवर्तित करने के लिए एक अग्रणी समाधान विकसित किया है। स्वदेशी रूप से विकसित तकनीक कचरे को जीवाश्म ईंधन के व्यवहार्य विकल्प में बदल देती है, जिससे अपशिष्ट से संबंधित चुनौतियों का समाधान करते हुए ऊर्जा उत्पादन में एक नई क्रांति आई है। इससे वेस्ट के प्रबंधन की चुनौतियां का समाधान मिलता है। कोयला संबंधी लागत, खनन और कचरे के ढेर से जुड़े स्वास्थ्य खतरों को कम करके हर स्तर पर लाभ प्राप्त होता है।
पर्यावरण को मिलेगा लाभ
कंपनी के सीनियर जनरल मैनेजर प्रोजेक्ट्स बृजेश कुमार सिंह ने बताया कि इससे पर्यावरण संरक्षण, कार्बन न्यूट्रॅलिटी और आर्थिक लाभ होता है। इन ग्रीन कोल परियोजनाओं से पर्यावरण को भी लाभ होता है। यह भी महत्वपूर्ण है कि जीवाश्म कोयले के स्थान पर ठोस ईंधन के रूप में एक किलोग्राम ग्रीन कोल के उपयोग से जीवाश्म कोयले द्वारा प्रति किलोग्राम उत्पादित लगभग 2 किलोग्राम कार्बन डाई अाक्साइड (CO2)कम हो जाती है।