ब्यूरो: कहावत है कि सियासत में कुछ भी बेवजह नहीं होता है। हर वार-हर रार के पीछे कोई न कोई मकसद छिपा होता है। वैसे भी जब तक ताकत का शंखनाद होता रहता है तब तक विरोध के स्वर मद्धम ही रहते हैं पर ज्यों मजबूती की सतह चटकने लगती है त्यों - त्यों बगावत के बुलबुले बाहर आने शुरु हो जाते हैं। कमोबेश ऐसे ही हालात से गुजर रहा है यूपी में बीजेपी का खेमा। यहां आम चुनाव में पार्टी को सीटों का नुकसान हुआ साथ ही वोट शेयर भी घट गया। बस उसी के बाद से एक के बाद एक तल्खी की नई नई बानगी पेश हो रही हैं।
तल्खियों की फेहरिस्त में अव्वल पायदान पर है डिप्टी सीएम मौर्य के तेवर
गुरुवार को सीएम योगी ने अपने सरकारी आवास पर मेरठ और प्रयागराज मंडल की समीक्षा बैठक बुलाई थी। इसमें एनडीए की सहयोगी अपना दल एस के विधायक भी शामिल , सीएम ने इन सभी से हार की वजहों को टटोला और मौजूदा हालातों पर चर्चा की। केशव प्रसाद मौर्य का जन्म क्षेत्र व कार्यक्षेत्र कौशांबी इसी प्रयागराज मंडल का ही हिस्सा है उनकी मौजूदगी के बिना इस इलाके की किसी भी समीक्षा बैठक प्रभावी नहीं मानी जा सकती है। लेकिन केशव प्रसाद मौर्य बैठक में नहीं पहुंचे बल्कि सीएम आवास से चंद कदमों की दूरी पर स्थित अपने आवास पर ही मौजूद रहे। यहां कई पूर्व व वर्तमान मंत्रियों से मुलाकात करते रहे। पूर्व मंत्री राजेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह, पूर्व मंत्री उपेन्द्र तिवारी और राज्यमंत्री दिनेश खटीक समेत कई लोगों ने मुलाकात के बाबत जानकारी खुद डिप्टी सीएम ने एक्स हैंडल पर पोस्ट के माध्यम से दी।
सीएम की बैठक से नदारद राजभर पहुंचे डिप्टी सीएम मौर्य के पास
बीती 22 जुलाई को सीएम ने आजमगढ़ मंडल की समीक्षा बैठक आयोजित की थी। जिसमें सुभासपा के सुप्रीमो और पंचायती राज मंत्री ओमप्रकाश राजभर भी आमंत्रित थे पर राजभर बैठक में नहीं पहुंचे। इसके बाबत कोई जानकारी तो नहीं दी अलबत्ता उसी दिन शाम को डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के आवास पर जरूर पहुंच गए। यहां आधे घंटे तक रुके, इसके बाद मुलाकात को लेकर सार्वजनिक जानकारी दोनों नेताओं ने सोशल मीडिया पर पोस्ट के जरिए दीं।
डिप्टी सीएम ने आरक्षण के मुद्दे पर अपनी ही सरकार में सवाल उठाए
तमाम मसलों को लेकर सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के दरमियान तनातनी चलती रही है। ताजा मामला तब उछला जब केशव प्रसाद मौर्य ने चिट्ठी लिखकर प्रमुख सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक से संविदा आउटसोर्सिंग में आरक्षण के बाबत जानकारी मांगी। पूछा कि कितनी भर्ती हुई है और क्या आरक्षण का पालन किया गया है? बाद में योगी सरकार ने जवाब देते हुए बताया कि आउटसोर्सिंग के 676 कर्मचारियों में 512 रिजर्व वर्ग से हैं। इनमें 340 कर्मचारी ओबीसी कोटे से आते हैं जो 75 फीसदी से भी अधिक है। लगातार तीन कैबिनेट बैठकों और समीक्षा बैठक में न पहुंचकर मौर्य ने अपनी नाराजगी दर्ज कर दी है।
सरकार-संगठन के रिश्तों में खिंचाव के संकेत मिल रहे हैं
पिछले दिनों लखनऊ में बीजेपी कार्यसमिति की बड़ी बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के मौजूदगी में दिग्गज नेताओं ने जो भाषण दिए उससे पार्टी के बीच जारी अंतर्द्वंद व खींचतान की ही झलक नजर आई। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य द्वारा संगठन के सरकार से बड़ा होने के बहुचर्चित बयान ने सुर्खियां बटोरीं तो डिप्टी सीएम की दिल्ली यात्रा ने रिश्तों की तल्खी का इजहार किया। पार्टी के कई विधायकों और पूर्व मंत्रियों ने संगठन और कार्यकर्ताओं की अनदेखी को लेकर सार्वजनिक बयान जारी कर दिए।
राजभवन में कलराज से केशव ने की मुलाकात
कभी यूपी की सियासत में खासे सक्रिय रहे राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र दो दिवसीय लखनऊ दौरे पर पहुंचे थे। इस दौरान राजभवन में कलराज मिश्र से केशव प्रसाद मौर्य ने भेंट की। चूंकि कलराज मिश्र यूपी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और मंत्री भी रहे हैं ऐसे में जब बीजेपी खेमे में उथल पुथल का दौर चल रहा हो तब उनसे होने वाली किसी भी बड़े नेता की मुलाकात पर सबकी निगाहें रहती हैं।
बीजेपी विधायक नंदकिशोर गुर्जर खुलकर आए डिप्टी सीएम के समर्थन में
गाजियाबाद के लोनी से बीजेपी विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने केशव प्रसाद मौर्य का समर्थन में बयान देते हुए कहा, दुर्योधन केशव को बांधने चला था. खुद निपट गया. वह केशव चाहे द्वापर में हो या कलयुग में हो. केशव जी केशव जी हैं. सवा तीन सौ सीटें उनकी लीडरशिप में आई है. केशव जी का अपना एक अलग जलवा है. संगठन हमेशा बड़ा होता है. अगर संगठन नहीं होगा तो विधायक नहीं होंगे. सरकार कैसे बनेगी. आज के समय में अधिकारी दुर्योधन का रूप हैं। गौरतलब है कि नंदकिशोर गुर्जर ने 19 दिसंबर 2019 को यूपी विधानसभा में योगी सरकार के खिलाफ बागी सुर छेड़े थे, उनके बयान के बाद सत्ताधारी दल के विधायक सदन में धरने पर बैठ गए थे, जिसने सरकार को शर्मसार किया था।
पल्लवी पटेल से सीएम योगी की मुलाकात से बढ़ी सरगर्मी
बुधवार को अपना दल (कमेरावादी) पल्लवी पटेल ने भी सीएम योगी से मुलाकात की। आधे घंटे तक चली इस मुलाकात के बारे में पल्लवी ने कोई जानकारी तो नहीं दी पर ये मुलाकात सियासी समीकरणों के नजरिए से खास मानी जा रही है। इन्हीं पल्लवी पटेल ने साल 2022 में सपा के टिकट पर केशव प्रसाद मौर्य को मात दी थी। वहीं, एनडीए की सहयोगी अपना दल (एस) की मुखिया और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कुछ दिनों पहले ही सीएम योगी को ओबीसी आरक्षण के मुद्दे को लेकर तीखा पत्र लिखा था, तो अब उनके विरोधी गुट की अगुआ और उनकी बहन पल्लवी पटेल की सीएम से मुलाकात को लेकर के सियासी निहितार्थ तलाशे जा रहे हैँ।
सीएम और डिप्टी सीएम के दरमियान तल्खी कई बार छलकी
योगी 1.0 शासनकाल में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के पास लोक निर्माण विभाग का जिम्मा था। तब टेंडर ऑनलाइन करने, विभागाध्यक्ष और प्रमुख सचिव को लेकर सीएम से तनातनी के मामले सामने आए थे। केशव प्रसाद मौर्य ने सीएम योगी को लखनऊ विकास प्राधिकरण में भ्रष्टाचार को लेकर चिट्ठी लिखी और जांच करने की मांग की। 2022 के विधानसभा चुनाव से पूर्व भी डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य संगठन के सरकार से बड़ा होने की बात कहकर सियासी सरगर्मी बढ़ा चुके थे। तब चुनाव में सिराथू से मिली हार के बाद केशव मौर्य भले ही डिप्टी सीएम पद पा गए हों पर उनकी तल्खी बढ़ती ही चली गई।
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही सीएम योगी की अध्यक्षता में होने वाली किसी भी बैठक में केशव प्रसाद मौर्य ने हिस्सा नहीं लिया, अब प्रयागराज मंडल की बैठक में हिस्सा न लेकर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने अपनी अलग लकीर खींचने का संकेत दे दिया है। चुनौती के इस गंभीर दौर में पार्टी के भीतर छिड़ी ये रार बीजेपी आलाकमान के गले की हड्डी बन चुकी है, जिसे न उगल पा रहे हैं न निगल पा रहे हैं।