ब्यूरो: आम चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही यूपी में बीजेपी सरकार और संगठन के बीच जो रस्साकशी-उठापटक दिखी उससे पार्टी की भविष्य की योजनाओं पर चिंता के बादल मंडराने लगे। सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच जारी अदावत की खबरों को हवा मिली तो विपक्षियों को भी तंज भरे तीर चलाने का मौका मिल गया। तमाम उथल पुथल और ऊहापोह के बीच बुधवार को संघ और बीजेपी सरकार व संगठन के बीच समन्वय बैठक हुई। जिससे संदेश निकला कि पार्टी के अंदरुनी हालात की संवेदनशीलता को भांपकर बीजेपी आलाकमान सक्रिय हो चुका है तो संघ ने भी जमीन पर तस्वीर बदलने के लिए कमर कस ली है।
अरसे बाद लखनऊ में संघ और बीजेपी सरकार व संगठन की बैठक हुई
बुधवार देर शाम लखनऊ में सीएम योगी के कालिदास मार्ग स्थित सरकारी आवास पर एक अहम बैठक आयोजित की गई। जिसके संबंध में कोई आधिकारिक जानकारी तो सामने नहीं आई लेकिन पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक बैठक में संघ के अरुण कुमार के साथ सीएम योगी आदित्यनाथ, दोनो डिप्टी सीएम और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सहित पार्टी की कोर टीम के सदस्य मौजूद रहे। ढाई घंटे तक चली इस मंथन बैठक में सरकार और संगठन बीच संवाद व समन्वय को लेकर ताजा हालातों को लेकर संघ की चिंता से अवगत कराया गया। पार्टी की जरूरतों और चुनौतियों का फीडबैक लिया गया। दरअसल, आरएसएस के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार के पास बीजेपी व संघ के बीच समन्वय की जिम्मेदारी है। बीते महीने भी अरुण कुमार लखनऊ पहुंचे थे तब उनकी बीजेपी सरकार और संगठन के साथ समन्वय बैठक होना तय हुआ था लेकिन उस वक्त पार्टी में जारी अंतर्कलह को भांप कर ये बैठक टल गई थी।
बैठक में पार्टी की गतिविधियों संघ की चिंता व चुनौतियों को लेकर रोडमैप पर चर्चा हुई
संघ व बीजेपी सरकार व संगठन की इस उच्चस्तरीय बैठक में उपचुनाव को लेकर भी व्यापक चर्चा की गई। तय हुआ कि बीजेपी बूथ स्तर के अपने प्रयासों को नए सिरे से जागृत करेगी और ग्राउंड स्तर पर बैठकों के जरिए जनता से बात की जाएगी उनके मुद्दों को समझा जाएगा और पार्टी की योजनाओं को साझा किया जाएगा। ये भी तय हुआ कि संविधान बदलने और आरक्षण खत्म करने के जिस विपक्षी नैरेटिव ने पार्टी को लक्ष्य हासिल करने से वंचित कर दिया उसकी सच्चाई भी जनता को बतानी होगी। पार्टी के बहुचर्चित सदस्यता अभियान में पिछड़े वर्गों और दलित बिरादरी को बड़ी तादाद में जोड़ने का लक्ष्य भी तय किया गया। राज्यस्तरीय निकायों और बोर्डों में पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं को मौका दिए जाने की बात भी की गई।
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से ही यूपी बीजेपी में कलह की खबरों को हवा मिलने लगी
आम चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही यूपी में बीजेपी के खराब प्रदर्शन ने केंद्रीय नेतृत्व को मायूसी से भर दिया था। बीजेपी की सीटें घटकर 33 हो गईं तो वोटशेयर भी घट गया। इंडिया गठबंधन को मिली 43 सीटों ने केंद्र में अपने बूते सरकार बनाने के बीजेपी के मंसूबों पर पानी फेर दिया। इसके बाद से यूपी में बड़े बदलाव को लेकर अटकलों के दौर तेज हो गए थे उस पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के तीखे बयानों ने आग में घी का काम कर दिया। गौरतलब है कि आम चुनाव के नतीजे आने के बाद डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने जिस तरह के तेवर अपनाए उसने पार्टी और संगठन को असहज कर दिया। यूपी की कैबिनेट बैठकों से उन्होंने किनारा कर लिया तो पार्टी की चुनावी समीक्षा की बैठक में भी शामिल होने से परहेज किया। संगठन के सरकार से बड़ा होने संबंधी बयान जारी करके मौर्य ने अपनी तल्खी का सार्वजनिक तौर से इजहार कर दिया। यूपी में तनातनी के दौर से पार्टी थिंक टैंक की उलझन बढ़ने लगीं
चूंकि बीजेपी के सामने यूपी में अपनी दस विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की चुनौती है। जिसमें अयोध्या की मिल्कीपुर सहित कई विधानसभा सीटें पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का सबब बन चुकी हैं। ऐसे में बीजेपी सरकार और संगठन के बीच जारी अंतर्कलह की खबरों ने पहले से ही आहत पार्टी रणनीतिकारों की चिंताओं में इजाफा कर दिया। इसके बाद ही तय हुआ कि अगर समय रहते कारगर उपाय न किए गए तो अहं के झगड़े में पार्टी का यूपी विधानसभा चुनाव 2027 जीतने का मिशन भी अटक सकता है। इसलिए केंद्रीय नेतृत्व ने हिदायत सख्त कीं तो संघ ने भी माहौल दुरुस्त करने के लिए कमर कस ली।
बीजेपी आलाकमान और संघ की साझा कवायदें असर लाने लगीं
बीते दिनों लखनऊ से दिल्ली तक जारी तमाम कवायदों ने एक तरह से इस तथ्य पर मुहर लगा दी कि बीजेपी की प्रदेश सरकार के भीतर सब कुछ सहज नहीं है। वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रमोद तिवारी कहते हैं कि शुरुआत में तो यूपी में बीजेपी सरकार में मतभेद की बातें छनछन कर आती थी पर आम चुनाव के नतीजे आने के बाद से प्रदेश शीर्ष नेतृत्व के बीच तनातनी की खबरें सुर्खियों का हिस्सा बन गईं। लेकिन बीते दिनों जब डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने योगी सरकार के कसीदे पढ़े तब सभी चौंक पड़े। अब डिप्टी सीएम हर बैठक में मौजूद रहते हैं और उनकी योगी संग मुस्कराते तस्वीरें नजर आ रही हैं। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि ये परिवर्तन अनायास नहीं हुआ। इसके पीछे केन्द्रीय नेतृत्व की सख्त ताकीद और आरएसएस की सक्रियता ने अहम किरदार निभाया है। अब बुधवार की बैठक के बाद ग्राउंड स्तर पर और भी व्यापक असर पड़ने की उम्मीद है।