Sunday 24th of November 2024

Hariyali Teej 2024: इस कथा के बिना अधूरा है हरियाली तीज का व्रत, नोट कर लें पूजन सामग्री

Reported by: PTC News Himachal Desk  |  Edited by: Rahul Rana  |  August 07th 2024 09:13 AM  |  Updated: August 07th 2024 09:13 AM

Hariyali Teej 2024: इस कथा के बिना अधूरा है हरियाली तीज का व्रत, नोट कर लें पूजन सामग्री

ब्यूरो : हरियाली तीज 2024 मानसून के मौसम में मनाया जाने वाला एक रंगीन और महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। यह सावन के महीने के शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान शिव और देवी पार्वती के मिलन का प्रतीक है।

यह त्योहार विशेष रूप से उत्तर भारत में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है, जिसमें पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, झारखंड और बिहार जैसे स्थान शामिल हैं। लोग इसे मनाने का तरीका और परंपराएँ हर क्षेत्र में अलग-अलग हो सकती हैं। इस दिन, विवाहित हिंदू महिलाएँ व्रत रखती हैं और अपने पति की सलामती के लिए प्रार्थना करती हैं।

हरियाली तीज आमतौर पर नाग पंचमी से दो दिन पहले होती है। शुक्ल पक्ष तृतीया को। 2024 में, ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह 7 अगस्त, बुधवार को मनाया जाएगा।

हरियाली तीज 2024 तिथि और समय

हरियाली तीज 2024 तिथि: 7 अगस्त, 2024 (बुधवार)

तृतीया तिथि प्रारंभ: 6 अगस्त, 2024 (मंगलवार) शाम 07:52 बजे

तृतीया तिथि समाप्त: 7 अगस्त, 2024 (बुधवार) रात 10:05 बजे

हरियाली तीज 2024: अनुष्ठान और परंपराएँ

पोशाक: हरियाली तीज पर, महिलाएँ नए कपड़े पहनती हैं, जो अक्सर हरे रंग के होते हैं, जो समृद्धि और विकास का प्रतीक होते हैं। वे पारंपरिक चूड़ियाँ भी पहनती हैं और अपने हाथों में मेहंदी लगाती हैं, जो त्योहार के दौरान एक आम प्रथा है।

सिंधरा: हरियाली तीज की एक विशेष परंपरा "सिंधरा" देना है। सिंधारा एक उपहार पैकेज है जो विवाहित महिला के माता-पिता द्वारा उसे और उसके ससुराल वालों को भेजा जाता है। इसमें आमतौर पर घर की बनी मिठाइयाँ, घेवर, चूड़ियाँ और मेंहदी होती हैं। यह उपहार महिला और उसके परिवार के बीच के बंधन को उजागर करता है और उत्सव के माहौल को बढ़ाता है।

झूले की सजावट: हरियाली तीज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा झूलों को सजाना है, जिन्हें "झूले" कहा जाता है। महिलाएं इन झूलों को सजाती हैं और पारंपरिक तीज गीत गाते हुए उन पर झूलने का आनंद लेती हैं।

पूजा और प्रार्थना: इस दिन, महिलाएं देवी पार्वती की पूजा करती हैं और अपने पतियों की भलाई और लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं। अनुष्ठानों में उपवास करना और भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित मंदिरों में जाना शामिल है।

हरियाली तीज की पूजा विधि

लोग अपने घरों को अच्छी तरह से साफ और स्वच्छ करते हैं, फिर उन्हें फूलों से सजाते हैं। वे पूजा के लिए शिव लिंगम और देवी पार्वती, भगवान शिव और भगवान गणेश की मूर्तियाँ स्थापित करते हैं। देवताओं को सोलह-चरण समारोह के साथ सम्मानित किया जाता है, और पूजा पूरी रात चलती है। महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं, जिसमें वे पूरे दिन कुछ भी नहीं खाती-पीती हैं। इस व्रत में विवाहित और अविवाहित दोनों महिलाएं हिस्सा लेती हैं।

विवाहित महिलाएं अपने पति की सलामती, समृद्धि और लंबी उम्र के साथ-साथ अपने परिवार के लिए प्रार्थना करने के लिए ऐसा करती हैं। अविवाहित महिलाएं अच्छे पति की तलाश और खुशहाल वैवाहिक जीवन की उम्मीद में व्रत रखती हैं। 24 घंटे के बाद, जब सभी रस्में पूरी हो जाती हैं, तो वे अंत में पानी पीती हैं।

हरियाली तीज का इतिहास

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान शिव का प्यार और भक्ति पाने के लिए कई वर्षों तक कठोर तपस्या और ध्यान किया। देवी पार्वती अपने गहरे प्रेम को दिखाने के लिए हिमालय गईं और रेत से शिव लिंग बनाया। अपने पिछले जन्मों में, उन्होंने शिव का प्यार पाने के लिए सभी सांसारिक चीजों को त्याग दिया था और सूखे पत्तों पर जीवित रहीं। उनके समर्पण से प्रभावित होकर, भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया और उनका मिलन हरियाली तीज पर मनाया जाता है। यह त्यौहार वैवाहिक आनंद और पत्नियों के अपने पतियों के प्रति समर्पण का प्रतीक है, जो एक सामंजस्यपूर्ण और प्रेमपूर्ण विवाह के आदर्श को दर्शाता है।

हरियाली तीज व्रत कथा

हरियाली तीज का व्रत सभी सुहागिनों के लिए शुभ होता है। पति की तरक्की और जीवन में खुशहाली के लिए भी ये उपवास किया जाता है। ऐसे में आइए इस व्रत की कथा के बारे में जान लेते हैं। कथा को लेकर ऐसी पौराणिक मान्यता है कि भगवान शिव माता पार्वती को पूर्व जन्म की बात सुना रहे थे। कहानी को सुनाते हुए शंकर जी पार्वती माता से कहते हैं कि, हे पार्वती ! तुमने पति के रूप में मुझे पाने के लिए कई सालों तक तपस्या की है। तुम्हारी कठोर तपस्या के दौरान तुमने अन्न और जल का भी त्याग करा। उसके बाद मैं तुम्हें वर के रूप में प्राप्त हुआ।

मां पार्वती को बात बताते हुए भोलेनाथ कहते हैं कि पार्वती एक बार नारद मुनि तुम्हारे घर गए थे। घर जाने के बाद नारद मुनि ने आपके पिता से कहा कि, मैं विष्णु जी के भेजने पर यहां आया हूं। विष्णु जी स्वयं आपकी तेजस्वी कन्या पार्वती से विवाह करना चाहते हैं। नारद मुनि की ये बात सुनकर पर्वतराज प्रसन्न हो गए। इसके बाद नारद मुनि की ये बात आपके पिता जी ने आपको बताई, तुम इस प्रस्ताव से दुखी हुई।

फिर इस बात का जिक्र तुमने अपनी सखी से किया था। तुम्हारी सखी ने तुम्हें कठोर तप करने की सलाह दी। इसके बाद तुम मुझे पति के रूप में प्राप्त करने के लिए एक जंगल की गुफा में चली गई। वहां तुमने रेत की शिवलिंग बनाकर तप किया। फिर तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न होकर सावन मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर मैंने तुम्हें दर्शन दिए। इसके बाद तुम्हारी मनोकामना पूरी करने का वचन देते हुए मैंने तुम्हें पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया।

इस दौरान तुम्हारे पिता भी गुफा में तुम्हें ढूंढते हुए आ गए। फिर आपने पिता जी से कहा कि, मैं आपके साथ चलूंगी, लेकिन जब आप मेरा विवाह महादेव से करवाएंगे। तुम्हारी बात सुनकर उन्होंने ये विवाह करवाने के लिए हां कर दी। इस दौरान भगवान शिव पार्वती से कहते हैं कि श्रावण तीज के दिन तुम्हारी इच्छा पूरी हुई और तुम्हारे कठोर तप की वजह से हमारा विवाह भी हुआ है। तभी से लेकर ऐसी मान्यता है कि जो भी महिला सावन तीज पर व्रत करती है, उसके वैवाहिक जीवन में खुशियां बनी रहती है।

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