Tuesday 10th of December 2024

Himachal: अंधविश्वास या मान्यता…हिमाचल में आज व कल “चुड़ैल की रात”….!

Reported by: पराक्रम चंद  |  Edited by: Rahul Rana  |  August 31st 2024 03:13 PM  |  Updated: August 31st 2024 03:13 PM

Himachal: अंधविश्वास या मान्यता…हिमाचल में आज व कल “चुड़ैल की रात”….!

ब्यूरो: आज भले ही आपको ये अटपटा लगे लेकिन आज से दो रात तक लोग डगयाली यानी (चुड़ैल) से लोग खौफ खाते हैं। हिमाचल के कुछ क्षेत्रों में छोटी डगयाली और उसके अगले दिन अमावस्या को बड़ी डगयाली या उवांस डुवांस भी कहते हैं। इसे अघोरा चतुर्दर्शी के नाम से भी जाना जाता है।  डगयाली भाद्रपद कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर आती है। मान्यता है कि इन दो रातों को काली शक्तियों का प्रभाव ज्यादा रहता है। इन दो रातों में लोग खौफ के साए में जीते हैं। इस दिन तांत्रिक काली शक्तियों को जगाने के लिए साधना करते हैं।

इसे शास्त्रों में कुशाग्रहणी अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन शिव के गणों, डाकनी, शाकनी, चुडैल, भूत-प्रेतों को खुली स्वतंत्रता होती है। कहते हैं कि इस दिन डायनों का नृत्य भी होता है। भगवान ब्रह्मा, विष्णु महेश भी इस दिन रक्षा नहीं करते। इस चतुर्दशी को अघोरा चतुर्दशी भी कहा जाता है। 

सिरमौर, शिमला, मंडी, सोलन ,कुल्लू आदि कुछ क्षेत्रों में आज के आधुनिक युग में भी डगयाली को डर की रात के रुप में मनाया जाता है।  सिरमौर में तो डगैली पर्व पर रात्रि को अदृष्य डगैली नृत्य होता है।  चुडेश्वर कलां मंच द्वारा इस अदृष्य डगयाली काल्पनिक नृत्य पर रात भर नाच होता है।  डगैली का हिदी अर्थ है डायनो का पर्व है। ऐसा माना जाता है इन दोनों रात्रियो को  डायने ,भूत ,पिशाच खुला आवागमन नृत्य करते है। 

इस नृत्य को कोई आम आदमी नहीं देख सकता इसे केवल तांत्रिक तथा देवताओ के गुर यानि घणिता ही देख सकते है।  इस दिनो डायनो व भूत प्रेतो को खुली छूट होती है। वह किसी भी आदमी व पशु आदि को अपना शिकार बना सकती है।  इसके लिए लोग पहले ही यहां अपने बचने का पूरा प्रंबध यानि सुरक्षा चक्र बना कर रख लेते है। इस दिन पुरोहित द्वारा अभिमंत्रित करके चावलों या सरसों को लोग घरों ,पशुशालाओ व खेतों में छिड़कते हैं साथ ही भेखल व टिंबर की टहनियों को दरवाजे व खिड़कियों में लगाते हैं।  

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